हर एक विचार की, हर एक बात की मानव के जीवन में एक भूमिका रहती है। विचार या कोई बात ये विधायक और विघातक दो प्रकार के रहते हैं। वह विचार या बात विधायक या विघातक इनमें से किस रूप में कार्य करेगी, यह मानव अपनी कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग किस तरह करता है, इसपर निर्भर करता है। भगवान का स्मरण करते हुए विवेक के साथ मानव को कर्मस्वतन्त्रता का उपयोग करना चाहिए। हर एक विचार के विधायक और विघातक दो पहलू होते हैं, इसके बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने १२ जनवरी २००६ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
(Aniruddha Bapu Hindi Discourse 12 Jan 2006 - Constructive And Destructive Aspects Of Thought - Part 1)
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