मां शैलपुत्री : देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं।शैलराज हिमालय की कन्या ( पुत्री ) होने के कारण नवदुर्गा का सर्वप्रथम स्वरूप 'शैलपुत्री' कहलाया है। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में प्रथम नवरात्र के दिन होती है। इसके एक हाथ में त्रिशूल , दूसरे हाथ मंह कमल का पुष्प है।
यह नंदी नामक वृषभ पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्चर्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं , जो योग साधना तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं। जम्मू - कश्मीर से लेकर हिमांचल पूर्वांचल नेपाल और पूर्वोत्तर पर्वतों में शैलपुत्री का वर्चस्व रहता है। आज भी भारत के उत्तरी प्रांतों में जहां-जहां भी हल्की और दुर्गम स्थली की आबादी है , वहां पर शैलपुत्री के मंदिरों की पहले स्थापना की जाती है , उसके बाद वह स्थान हमेशा के लिए सुरक्षित मान लिया जाता है ! कुछ अंतराल के बाद बीहड़ से बीहड़ स्थान भी शैलपुत्री की स्थापना के बाद एक सम्पन्न स्थल बल जाता है।
(घी से बनी चीजों का भोग लगायें)
जानिए ज्योतिर्विंद आचार्य सचिन शिरोमणि से
वीडियो लाइक और शेयर जरुर करें-धन्यवाद
To subscribe click this link –
https://www.youtube.com/channel/UCDWLdRzsReu7x0rubH8XZXg
If You like the video don't forget to share with others & also share your views
Website : http://www.totalbhakti.com
Google Plus : https://plus.google.com/u/0/+totalbhakti
Facebook : https://www.facebook.com/totalbhaktiportal/
Twitter : https://twitter.com/totalbhakti/
Linkedin : https://www.linkedin.com/in/totalbhakti-com-78780631/
Dailymotion - http://www.dailymotion.com/totalbhakti