मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल वह नागरिकता अधिनियम 1955 में कोई संशोधन नहीं करने जा रही है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 संसद के शीतकालीन सत्र में पारित नहीं किया जा सका।
इसके साथ ही असम में भाजपा की सहयोगी असण गण परिषद ने धमकी दी है कि अगर नागरिकता संशोधन बिल पारित किया गया तो वह सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। और यही कारण है कि असम गण परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को नई दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि फिलहाल यह बिल पारित नहीं किया जाएगा।
असम समझौते के मुताबिक कोई भी व्यक्ति चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम,जो 24 मार्च 1971 के बाद असम में आया उसे अवैध माना जाएगा। ऐसे में 1971 के बाद असम में आए हिंदू बांग्लादेशियों को भी अवैध प्रवासी माना जाता है। भाजपा की मांग है कि इन लोगों के नाम ड्राफ्ट एनआरसी में शामिल किए जाएं,जबकि इनके पास वैध दस्तावेज नहीं है।
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