शनिवार की सुबह लखनऊ आम दिनों के मुकाबले अलसाया हुआ नहीं था। रोज के मुकाबले लोग जल्दी जग गए थे। जॉगिंग, अखबार पढ़ने और पसंदीदा टीवी शो देखने जैसे काम भी टाल दिए थे। सबको बस एक ही धुन थी कि तैयार होकर वक्त से होटल ताज पहुंचना है। ‘हिन्दुस्तान शिखर समागम’ में शामिल होना है। सुबह के 9 बजे तक शहर का एक बड़ा तबका गोमतीनगर स्थित होटल ताज में पहुंच चुका था। पार्किंग गाड़ियों से भरी थी तो ताज की लॉबी शहर के लोगों से।
राजनेता, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, फैशन डिजाइनर, बिजनेसमैन, गृहिणियां, स्टूडेंट और उद्यमी हर तरह के लोग इस जमात में शामिल थे। कोई सितारों के आकर्षण में बंधा चला आया था तो कोई बदलते हिन्दुस्तान की बुलंद आवाज जैसे गंभीर विषय पर होने वाली चर्चा सुनना चाहता था। किसी को ओलम्पिक में देश का नाम चमकाने वाली खिलाड़ी पी.वी. सिंधु को करीब से देखना था तो कोई बाबा रामदेव को लाइव योग करते हुए देखना चाहता था। लोग बोल बतिया भी खूब रहे थे ... ‘क्या जॉन अब्राहम सचमुच आएगा? क्या सवाल पूछने को भी मिलेंगे? गोपीचंद हिन्दी में बात करेंगे या अंग्रेजी में? हेमामालिनी क्या पहनकर आएंगी?’
सबसे ज्यादा भीड़ रजिस्ट्रेशन काउंटर पर थी। जिनके पास निमंत्रण पत्र थे वे तो शांत थे लेकिन जिन्हें आज ही पता चला था वे थोड़े मायूस कि पता नहीं अंदर जाने को मिलेगा या नहीं। एक बार सेशन शुरू हो गया तो लोग अंदर बैठ गए। वक्ताओं जितनी ही ऊर्जा शहर की ऑडियंस में भी थी। लोग हर बात पर रिस्पॉन्स कर रहे थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी बुआ जी को याद किया तो लोग खिलखिला उठे। जनरल बिक्रम सिंह की बातों ने लोगों को खूब प्रभावित किया। सबसे ज्यादा तालियां इसी सेशन में बजीं। जनरल की बातें खत्म हुईं तो लोगों ने खड़े होकर अभिवादन किया। कार्यक्रम के समापन पर चेहरे पर मुस्कान और कुछ अच्छा सुनने का संतोष लेकर जब लोग बाहर निकले तो किसी की बातों में समागम की तारीफ थी तो कोई अगले आयोजन का इंतजार अभी से करता दिख रहा था।
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