देवी पुराण में माता के 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। ये शक्तिपीठ भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत और बांग्लादेश में हैं। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा में स्थित ज्वाला देवी मंदिर इन शक्तिपीठों में अद्वितीय है। यहां माता सती का जिह्वा (जीभ) गिरी थी। इस जगह पर हर समय ज्वाला जलती रहती है। मान्यताओं के अनुसार अकबर महान भी इस ज्वाला को बुझा पाने में असफल रहे थे।
इस मंदिर में आग के रूप में हर समय ज्वाला धधकती रहती है। ज्वाला रूप में माता सदियों से बिना तेल बाती के प्राकृतिक रूप से जल रही हैं। कहा जाता है कि ये पावन जोतियां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है। कहा जाता है कि अकबर ने इन ज्वालाओं को बुझाने के लिए यमुना की एक धारा को नहर के रूप में मंदिर की ओर मोड़ दिया लेकिन ज्वाला नहीं बुझी। जब अकबर को माता की अलौकिक शक्ति का एहसास हुआ तो उसने दरबार पर सोने का छत्र चढ़ाया।
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