हम लोग जैसे घर के पूरे महीने के खर्च को एक बजट में बांधते हैं ठीक वैसे ही सरकार को देश चलाने के लिए एक बजट बनाना पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, उद्योग हर क्षेत्र के विकास के लिए सरकार वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले ही एक तय रकम आवंटित करती है और उसके ही आधार पर पूरे साल हर क्षेत्र में काम होता है। हर साल रेल और आम बजट अलग-अलग पेश होता है, लेकिन इस साल दोनों बजट एक साथ आ रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के पिटारे की ओर पूरे देश की निगाहें टिकी हुईं हैं। करदाता, महिला, युवा, छात्र, उद्योगपति, छोटे बिजनेसमैन, सरकारी और प्राइवेट कर्मचारी, बुजुर्ग हर किसी के उम्मीदों की एक फेहरिस्त है। Livehindustan.com ने आम जनता से बजट से एक दिन पहले उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा।
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