गोरखपुर और संतकबीरनगर की सीमा पर कसरवल में गोरख तलैया कभी पूर्वांचल में जल संरक्षण का सबसे बड़ा प्रतीक थी। इसी तलैया के साथ सूखी आमी नदी में जलस्रोत फूट पड़े थे। पूर्वांचल के इस इलाके को वर्षों के सूखे से मुक्ति मिली थी। लेकिन अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति हमारी उदासीनता के नतीजे में आज इस तलैया के साथ ही जलसंरक्षण का प्राचीन प्रतीक खत्म हो चुका है।
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