अब ना तो कच्चे तेल के बाजार पर भारत का कंट्रोल है और ना ही डॉलर के रेट पर । डॉलर के मुकाबले रुपया औंधे मुंह गिरा हुआ है । आशंका थी कि एक डॉलर दिसंबर तक 69 रुपये का ना हो जाए । सितंबर के तीसरे दिन ही डॉलर 71 रुपये के पार चला गया । अब चिंता ये सता रही है कि कहीं कच्चे तेल और डॉलर के बीच पिस कर पेट्रोल सौ रुपये के पार तो नहीं चला जाएगा.