मंगलवार की शाम एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर एक लाल कपड़ा बिछाकर हनुमान जी का विग्रह या चित्र स्थापित करें । सुगन्धित चमेली के तेल का दीपक और गुग्गुल की धूप जलाएं। हनुमान जी के विग्रह को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
कुछ बूंदे चमेली के तेल की चढ़ाएं और सिंदूर की बिंदी लगायें। उनके सामने ही एक सफ़ेद हकीक पत्थर पर हनुमान जी के दायें पैर से लिए सिंदूर से पति का एक हक़ीक पर अपना नाम लिखें और बाएं पैर के सिंदूर से एक हक़ीक पत्थर पर सौतन का नाम लिखेँ। फिर एक मंत्र बताने जा रही हूं उसका 51 माला जाप करेँ। और आक की लकड़ी पर घी गुग्गुल तिल से 108 आहुति दें।
मंत्र नोट कीजिए. बहुत आराम से पढ़ूंगी. :- "ॐ अंजनी पुत्र पवनसुत हनुमान वीर वैताल साथ लावे मेरी सौत(अमुख) से पति छुडावे,उच्चाटन करे करावे मुझे वेग पति मिले।मेरा कारज सिद्ध न करे तो राजा राम की दुहाई।"
अब जिस पत्थर पर सौतन का नाम लिखा हो उसे सुनसान मेँ गाड दें। अपने और पति और अपने नाम वाले हकीक सियार सिँगी के साथ डिब्बे मे डाल कर सुरक्षित रख लेँ। कुछ ही दिनों में पति आपके पास वापस लौट आएंगे.
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