उत्तराखंड के हल्द्वानी, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर और यूपी में बरेली के लाखों लोग 42 साल से जिस जमरानी बांध का इंतजार कर रहे हैं, उसका निर्माण कागजों में करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद अभी तक शुरू नहीं हो सका है. नवंबर 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकारी एजेंसियों ने बांध से जुड़ी सारी कागजी कार्रवाई तो पूरी कर ली, लेकिन बजट की घोषणा के आगे सब अटका हुआ है. 25 करोड़ की लागत से शुरू हुआ प्रोजेक्ट 2500 करोड़ को पार कर चुका है, लेकिन उत्तराखंड, यूपी और केंद्र में भी बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद इस ओर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई. साल 1975 में जमरानी बांध के शिलान्यास के बाद देश में 13 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. हर चुनाव में राजनीतिक दल जमरानी बांध को बनाने का दावा करते हैं, लेकिन चुनावों के बाद मानों सब भूल जाते हैं.