काबुल. अहमद सैय्यद रहमान जब 8 माह का था तब उसके पैर में गोली लग गई थी। इसमें उस मासूम का कोई कसूर नहीं था। लोगार प्रांत पर कब्जे को लेकर अफगान सेना और तालिबान के बीच खूनी संघर्ष छिड़ा था। अनजाने में बच्चा उसका शिकार बन गया। उसका पैर काटना पड़ गया। उसके बाद का दौर अहमद के लिए कुछ अच्छा नहीं रहा। कई बार कृत्रिम पैर लगाए गए, लेकिन फिटिंग ठीक नहीं बैठी। लेकिन इस बार खुदा की रहमत उस पर बरसी और डॉक्टरों की कोशिश रंग ले आई। कृत्रिम पैर लगाने के बाद डॉक्टरों ने अहमद से चलने को कहा। बच्चा जमीन पर उतरा और जब उसे यकीन हो गया कि पैर ठीक है तो वह खुशी से झूमने लगा।