तीन तलाक का जब भी जिक्र आता है तो शाह बानो केस की बात हमेशा की जाती है। इंदौर के मशहूर वकील मोहम्मद अहमद खान ने साल 1978 में 62 साल की अपनी पत्नी शाह बानो को तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया था। पांच बच्चों की मां शाह बानो की जीविका का कोई साधन नहीं था। इसलिए उसने पति से गुजारा भत्ता लेने के लिए कोर्ट की शरण ली। न्यायिक मजिस्ट्रेट से लेकर हाईकोर्ट तक ने शाह बानो के गुजारे की मांग को जायज ठहराते हुए उसके हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तत्कालीन कांग्रेस सरकार को मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर सताने लगा था। राजीव गांधी सरकार ने अदालत के फैसले को इस्लाम में दखल मानकर नया कानून बनाया और सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू होने से रोक दिया। नतीजा शाह बानो इंसाफ से वंचित रह गई।