पहली दफा यूं ही तफरीह के जेल पहुंचा. तब जेल का एक अफसर दोस्त हुआ करता था. सुबह का वक्त. सारे कैदी बाहर थे. एक से नजरें मिलीं. लगा जैसे दुनिया का सबसे खतरनाक डाकू सामने हो. मैं सहम गया. फिर तो जहां देखता, हर चेहरे पर मुझे डाकू और हत्यारे नजर आते. अपराध साहित्य खूब पढ़ा करता. दोस्त थोड़ा और घुमाना चाहता था लेकिन मैं बुरी तरह से डरा हुआ था. बाहर आया तो मानो जान बची.