गटर खोलते ही बदबू का भभका नाक में घुसता है. भीतर उतरते हैं तो कभी पैर पर कनखजूरे रेंगते हैं तो कभी आंखों पर बिच्छू चढ़ आते है. हमारे पास चश्मा, मास्क या दस्ताने नहीं. बस, रेनकोट मिला है ताकि बारिश में भी काम न रुके. 15 सालों से नालों और गटर की सफाई कर रहे सचिन कहते हैं- सफाई के बाद डेटॉल साबुन की बट्टी कई बार रगड़ता हूं, तब जाकर गटर की गंध पर डेटॉल की गंध चढ़ पाती है.