कब मिलता है हमारे कर्मों का कर्मफल? || आचार्य प्रशांत (2018)

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वीडियो जानकारी:

२७ मई,२०१८
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना हैन हाथी है ना घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना है
तुम्हारे महल चौबारे, यहीं रह जाएंगे सारे - २
अकड़ किस बात कि प्यारेअकड़ किस बात कि प्यारे,ये सर फिर भी झुकाना है
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है …
भला कीजै भला होगा, बुरा कीजै बुरा होगा,
बही लिख लिख के क्या होगा बही लिख लिख के क्या होगा, यहीं सब कुछ चुकाना है
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है …
लड़कपन खेल में खोया, जवानी नींद भर सोया - २
बुढ़ापा देख कर रोयाबुढ़ापा देख कर रोया, वही किस्सा पुराना है
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है

क्या कर्मफल जैसी कोई चीज़ होती है?
क्या किसी का भला करने पर हमारा भी भला ही होता है?
कब मिलता है हमारे कर्मों का कर्मफल?
'सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है' क्या है इस गीत का अर्थ?

संगीत: मिलिंद दाते

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