जेएनयू उबल रहा है. देश के बाकी शहर भी. देहरादून से लेकर मुंबई तक स्टूडेंट्स लगातार इस बात के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं कि शिक्षा उनकी पहुंच से दूर न हो जाए. चिंता है कि लगभग साढ़े दस हजार रुपए पर कैपिटा इनकम वाले देश में शिक्षा लग्जरी न बन जाए.
लिहाजा मांग है कि इस पर सरकारी सब्सिडी कायम रहे. दूसरी तरफ सब्सिडी का विरोध करने वाले तमाम तरह के तर्क दे रहे हैं. उनका कहना है कि सब्सिडी देकर सरकारी खर्च बढ़ता है. लोग सब्सिडी का मिसयूज करते हैं. स्टूडेंट्स राजनीति करते हैं-पढ़ाई नहीं वगैरह..वगैरह.