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शब्दयोग सत्संग
२२ दिसंबर, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
श्रृंगार शतकम्, श्लोक संख्या ५४
स्त्रियाँ प्रेम में उन्मत्त होकर जिस काम को करने लग जाती हैं, ब्रह्म भी उन्हें उस काम से नहीं हटा सकता।
जब कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है।
~ ओशो
प्रसंग:
स्त्री कौन?
मालकियत क्या?
स्त्री को माया क्यों बताया गया हैं?
स्त्रियाँ प्रेम में उन्मत्त होकर जिस काम को करने लग जाती हैं, ब्रह्म भी उन्हें उस काम से नहीं हटा सकता। ऐसा क्यों कह रहे भर्तृहरि?
संत कामिनी से दूर रहने को क्यों बोले है?
ओशो ऐसा क्यों कहते है की जब कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है। ?
संगीत: मिलिंद दाते