पूजा-पाठ में मन न लगे तो? || आचार्य प्रशांत (2018)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, फ्री हार्ट्स शिविर
१४ सितम्बर २०१८
लैंसडाउन, उत्तराखंड

दोहा:
माला फेरै कह भयो, हिरदा गांठि न खोय ।
गुरु चरनन चित रखिये, तो अमरापुर जोय ।।

प्रसंग:
पूजा -पाठ में मन क्यों नहीं लगता?
जब पूजा में मन न लगे तो क्या करें
मूर्ति पूजन क्यों आवश्यक है?
क्या पूजा या कीर्तन आवश्यक हैं?
क्या पूजा या कीर्तन मंदिर जाकर या मूर्ति के सामने करना आवश्यक है?
कबीर पूजा-पाठ, मूर्तिपूजा आदि को महत्वहीन क्यों बता रहे है?
पूजा में विधियों का क्या महत्व है?
पूजा में फूल,अगरबत्ती, अक्षत आदि का क्या महत्व है?
वास्तविक नास्तिकता क्या हैं?
असली आस्तिक पहले नास्तिक क्यों?
धर्म को कैसे जानें?
क्या भगवान का निषेध हमें भगवान के करीब ले जाता है?
सभी बड़े वैज्ञानिक नास्तिक क्यों थे ?
"धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है और विज्ञान के बिना धर्म अंधा है" इस वक्तव्य क्या आशय है?
क्या नास्तिक पर ज्योतिष का प्रभाव पड़ता है?
क्या नास्तिक लोग की जीवन अपवित्र है?
क्या अंतर है आस्तिक और नास्तिक में
क्यों गुरु कबीर ने कहा है कि-
माला फेरै कह भयो, हिरदा गांठि न खोय ।
गुरु चरनन चित रखिये, तो अमरापुर जोय ।।

संगीत: मिलिंद दाते

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