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शब्दयोग सत्संग
२८ जून, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
गीत: नादान परिंदे
ओ नादान परिंदे घर आजा
घर आजा… घर आजा… घर आजा आ आ..
क्यों देश-बिदेश फिरे मारा
क्यों हाल बेहाल तका हारा
क्यों देश-बिदेश फिरे मारा
तू रात-बीरात का बंजारा
ओ नादान परिंदे घर आजा
घर आजा… घर आजा… घर आजा आ आ..
नादान परिंदे घर आजा….
सौ दर्द बदन पे फेले हैं
हर करम के कपड़े मेले हैं
काटे चाहे जितना परो से हवाओं को
खुद से ना बच पाएगा तू
तोड़ आसमानो को
फूक दे जहानो को
खुद को छुपा ना पाएगा तू
कोई भी ले रास्ता, तू है तू में बस्ता
अपने ही घर आएगा तू
ओ नादान …
ओ नादान परिंदे घर आजा
घर आजा… घर आजा… घर आजा आ आ..
नादान परिंदे घर आजा
नादान परिंदे घर आजा
नादान परिंदे घर आजा
काग़ा रे काग़ा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो माँस
काग़ा रे काग़ा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो माँस
आरजिया रे खाइयो ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलन की आस
खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलन की आस
ओ नादान …
ओ नादान परिंदे घर आजा
घर आजा… घर आजा… घर आजा आ आ..
नादान परिंदे घर आजा
गीत: नादान परिंदे
संगीतकार: मोहित चौहान
फ़िल्म: रॉकस्टार
बोल: इरशाद कामिल
संगीत: मिलिंद दाते