वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
११ फरवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
कहता हूँ कहि जात हूँ, देता हूँ हेला ।
गुरु की करनी गुरु जाने, चेला की चेला ॥ (संत कबीर)
प्रसंग:
गुरु की करनी गुरु जाने, चेला की करनी चेला ~ संत कबीर जी के इन वचनों का क्या अर्थ है?
गुरु कबीर के मुताबिक़ उचित कर्म कौन सा है?
क्या हम उचित कर्म में उद्द्यत हैं?
कैसे पता करें कि कर्म आत्मा से हुआ या अहंकार से?
संगीत: मिलिंद दाते