हम बहुत पुराने पापी हैं || आचार्य प्रशांत, बाबा बुल्लेशाह पर (2019)

Views 1

वीडियो जानकारी:

०४ जून, २०१९
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:

अपणा दस्स टिकाणा,
किधरों आया किधर जाणा।
जिस ठाणे का माण करें तू,
ओह्ने नाल न जाणा।
जुल्म करें ते लोक सतावें,
कसब फड़िओ लुट खाणा।
कर लै चावड़ चार दिहाड़ै,
ओड़क तूं उठ जाणा।
शहर खामोशां दे चल बसिये,
जित्थे मुलक समाणा।
भर-भर पूर लंघावे डाहडा,
मलकुलमौत मुहाणा।
एहणा समनां चौं है बुल्ला-
औगुणहार पुराना।
~ बाबा बुल्लेशाह

बुल्लेशाह जी स्वयं को पापी क्यों कह रहे हैं?
क्या मानव होना ही पाप है?
जीव का मूल पाप क्या है?
पापों से कैसे उबरें?
क्या हम सब पुराने पापी हैं?

संगीत: मिलिंद दाते

Share This Video


Download

  
Report form