वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र,
३० अक्टूबर २०१३
बी.बी.डी.आई .टी, गाज़ियाबाद
प्रसंग:
मै किसी के संपर्क में आने से पहले ही किसी को अपने से श्रेष्ठ क्यों समझने लगता हूँ?
या फिर मै किसी के संपर्क में आने से पहले ही किसी को अपने से नीचा क्यों समझने लगता हूँ?
किसी चीज को करने से पहले ही उसकी छवि क्यों बना लेता हूँ?
बिना किसी को समझे ही अपना आदर्श क्यों बना लेते है?
अपने भीतर से डर कैसे निकाले?
अपने अंदर से अहँकार कैसे हटाए?