शब्दों के पीछे की बेचैनी || आचार्य प्रशांत (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१० फरवरी २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
आचार्य जी जब आप के पास आता हूँ तो पता चल नहीं पता है कि आप से पूछना क्या है?
जीने का उदेश्य क्या है?
शब्दों के पीछे ही क्यों मन क्यों लगा रहता है?
मन हर चीज को जानने में ही क्यों लगा रहता है?

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