वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२८ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
मारग चलते जो गिरे, ताको नाही दोष ।
कहै कबीर बैठा रहे, ता सिर करड़ै कोस ॥ (संत कबीर)
प्रसंग:
मारग चलते जो गिरे, ताको नाही दोष | इस पंक्ति का क्या आशय है?
संत कबीर के दोहे को कैसे पढ़े?
संगीत: मिलिंद दाते