वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
३० नवम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ |
मैं बपुरा डूबन डरा, रहा किनारे बैठ ||
प्रसंग:
जीवन गँवाने के डर से अक्सर हम जीते क्यों नहीं?
वृतिया हम पर इतना हावी क्यों रहता है?
कबीर डूबने को क्यों बता रहे है?