तुम दुनिया से भिन्न नहीं हो || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१५ मार्च, २०१५
अद्वैत बोध्स्थल, नॉएडा

प्रसंग:
दुनिया से भिन्न कैसे हों?
क्या दुनिया से अलग भी अपनी अलग पहचान बनाना आसान है?
दुनिया और स्वयं से कैसे अलग हों?
आपको ठीक वैसी दुनिया मिल जाती है जैसे आप हैं?
खुली हुई आँखों से दुनिया कैसी दिखती हैं?
दुनिया के ढर्रे इतने असहाय क्यों?
ये दुनिया क्या हैं?

संगीत: मिलिंद दाते

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