तुम जगो, तो ही दूसरों को जगा पाओगे || आचार्य प्रशांत (2017)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१९ नवम्बर, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
दोस्तो या परिवार को सत्संग के बारे में कहता हूँ तो आनाकानी क्यों करते है?
उन्हें क्यों ये सब स्वाँग लगता है?
दोस्तो या परिवार को कैसे समझाये?
क्या दोस्तो या परिवार को छोड़ दें या साथ-साथ लेकर चले?
दोस्तो या परिवार वाले कहते है कल तक मेरे जैसे थे आज तेरे में ऐसा क्या हो गया?

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