ये कैसे आदर्श? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2015)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१४ फ़रवरी २०१५
ए.के.जी.ई.सी, गाज़ियाबाद

प्रसंग:
ये कैसे आदर्श है?
हमलोग कुछ आदर्श लोगो के ही कठपुतली बनकर ही क्यों रह जाते है?
अपना नया कुछ क्यों नहीं कर पातें?
कुछ सफल लोगो के बनाये रास्तें पर ही हम क्यों चलते है,अपना क्यों नहीं सोच पाते है?
क्या दूसरे के राह पर चलना आवश्यक है?

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