उसके बिना तड़पते ही रहोगे || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१३ अप्रैल २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

भजन:
राम बिनु तन को ताप न जाई
राम बिनु तन को ताप न जाई
जल में अगन रही अधिकाई
राम बिनु तन को ताप न जाई

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना
जल में रहहि जलहि बिनु जीना
राम बिनु तन को ताप न जाई

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा
दरसन देहु भाग बड़ मोरा
राम बिनु तन को ताप न जाई

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला
कहै कबीर राम रमूं अकेला
राम बिनु तन को ताप न जाई

प्रसंग:
कौन है जिसके बिना तुम तड़पते ही रहोगे?
इस प्रसंग के माध्यम से कबीर किस सच्चे गुरु की ओर इशारा कर रहे है?
अकेलापन क्या है?

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