कितने मालिक हैं तुम्हारे? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१८ अक्टूबर, २०१२
बी.बी.एस.सी.इ.टी कॉलेज, इलाहाबाद

प्रसंग:
मन एक जगह केंद्रित क्यों नहीं रहता है?
मन में गलत ख्याल क्यों आते हैं?
हम कोई भी काम डर के क्यों करते है?
दूसरे से प्रभावित होने से कैसे बचें?
जीवन में हमारा अपना क्या है?
हम पूरी तरह कंडिशंड है कैसे पता चले?
कंडीशनिंग से बाहर कैसे आये?
हमलोग सही- गलत का निर्धारण संस्कार के आधार पर क्यों करते है?
कहीं भी मन क्यों नहीं लगता?
कितने मालिक हैं तुम्हारे?
मन हमेशा भागता क्यों रहता है?
आखिर किसकी तलाश में है मन?
क्या मन तलाश का कोई अंत भी है? अगर है तो कहाँ है?
किसी भी काम में मन क्यों नहीं लगता है?
मन बेचैन क्यों रहता है?
मन तनाव ग्रस्त क्यों रहता है?
मन में बहुत सारी परेशानियाँ क्यों चलती हैं?
मन फ़िज़ूल चीज़ों को ही क्यों पकड़ता है?
मन को शांत कैसे रखें?
मन फ़िज़ूल चीज़ों में क्यों रस लेता है?
मन अशांत क्यों रहता है?
मन को शांत करने के उपाय क्या?

संगीत: मिलिंद दाते

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