वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२६ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
प्रीति ताहि सो कीजिये, जो आप समाना होय |
कबहुक जो अवगुण पड़ै, गुन ही लहै समोय || (संत कबीर)
प्रसंग:
सच्चे गुरु को कैसे पहचानें?
क्या जीवन में सच्चे गुरु को पाना संभव है?
गुरु किसको मानें?
असली गुरु कौन?