केंद्रित सुख में, केंद्रित दुःख में || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२३ नवम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल,नॉएडा

दोहा:
सज्जन जन वही है, ढाल सरीखा होय|
दुःख में आगे रहे, सुख में पाछे होए|| (संत कबीर साहब)

प्रसंग:
दुःख माने क्या?
सुख माने क्या?
क्या दुःख-सुख से आगे भी कुछ है?

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