हम तुम्हारे समीप ही, मन जाए कहीं भी || आचार्य प्रशांत, गुरु नानक पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२ जुलाई, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

पौड़ी : (रहरासि, नितनेम)
तूं घट घट अंतरि सरब निरंतरि जी हरि एको पुरखु समाणा ॥

प्रसंग:
मन इतना भटकता क्यों है?
किसके लिए भटकता है मन?
मन को कैसे नियंत्रित करें?
क्या मन को हम खुद भटकाते है?
जब मन भटके, तो क्या करना चाहिए?
मन के भटकने को कैसे रोकें?
मन की दौड़ को हमेशा के लिए कैसे रोकें?
मन सही लक्ष्य से भटक क्यों जाता है?

संगीत: मिलिंद दाते

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