जीवन से अनजाना मन मौत से बचने को आतुर रहता है || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२२ जून २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
जीवन से अनजाना मन मौत से बचने को क्यों आतुर रहता है?
रीति -रिवाज\ कर्म -कांड का क्या आशय है?
मौत ही सबसे भयावह क्यों मालूम पड़ता है?

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