दुःख में याद रहे, सुख में भूले नहीं || आचार्य प्रशांत,संत कबीर पर (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
४ फरवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
दुःख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करै, तो दुःख काहे को होय।। (संत कबीर साहब)

प्रसंग:
दुःख माने क्या?
सुख माने क्या?
क्या दुःख और सुख के माया जाल से मुक्त होना संभव है?

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