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शब्दयोग सत्संग
२२ मई, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नोएडा
गीत:
अपनी छब बनायके, जो मैं पी के पास गई
जब छब देखी पीहू की, सो मैं अपनी भूल गई
ओ, छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे
नैना, नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके
ए री सखी, मैं तोसे कहूँ
हाय तोसे कहूँ
मैं जो गयी थी, पनिया भरन को
छीन झपट मोरी मटकी पटकी
छीन झपट मोरी, झपट मोरी मटकी पटकी
नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके
बल-बल जाऊँ मैं, तोरे रंग रजेवा
बल-बल जाऊँ मैं, तोरे रंग रजेवा
अपनी-सी, रंग लीनी रे मोसे
नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके
ए री सखी, मैं तोसे कहूँ
हाय तोसे कहूँ
हरी हरी चूड़ियाँ, गोरी गोरी बहियाँ
हरी हरी चूड़ियाँ, गोरी गोरी बहियाँ
बहियाँ पकड़ हर लीनी
रे मोसे नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे
नैना, नैना मिलायके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके
गीत: अपनी छब बनायके, जो मैं पी के पास गई
संगीतकार: लता मंगेशकर, आशा भोंसले
फ़िल्म: मैं तुलसी तेरे आंगन की (१९७८)
बोल: अमीर खुसरो
संगीत: मिलिंद दाते