सच की गहराई, या कल्पना का विस्तार? || आचार्य प्रशांत, श्री योगवाशिष्ठ पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२३ अक्टूबर, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
मिथ्या क्या है?
मेरी कल्पना मिथ्या है कैसे जाने?
मिथ्या, कल्पना से बाहर कैसे निकलें?
कल्पनाओं की जरूरत क्यों पड़ती है?
हम कल्पनाओं में क्यों जीते है?
वास्तविकता मैं कैसे जीए?
हम कल्पनाओं में क्यों जीते है?
वास्तविकता मैं कैसे जीए?

संगीत: मिलिंद दाते

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