जो कुछ भी अपने लिए करोगे, उसका फल दुख होगा || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग,
०७ अप्रैल, २०१९
विश्रांति शिविर,
गांधीधाम, गुजरात


प्रसंग:

मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याऽऽध्यात्म-चेतसा ।
निराशीर् निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगत-ज्वरः ॥३०॥

तू अपने सब कर्म मुझे समर्पित कर दे! अपनी चेतना को अध्यात्म मेँ केंद्रित कर! फल की आशा मत कर! अपनेपन को – ममता को – त्याग! मन से संताप मिटा दे! युद्ध कर!

श्रीमद्भागवत गीता,
अध्याय-३, श्लोक-३०

हम स्वयं को कर्ता क्यों मानते हैं?
कृष्ण अकर्ता होने को क्यों कह रहे हैं?
भगवद्गीता को कैसे समझें?
क्या स्वयं को कर्ता मानने से दुःख मिलता है?
क्या कर्ताभाव ही दुःख का मूल कारण है?
अपने लिए कर्म करने का क्या अर्थ है?

संगीत: मिलिंद दाते

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