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शब्दयोग सत्संग
२२ मई, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नोएडा
गीत: वहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर
ये छइयाँ पाएगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
बीत गए दिन, प्यार के पल-छीन
सपना बनी ये रातें
भूल गए वो, तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाकातें
सब दूर आंधेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ…
कोई भी तेरी, राह न देखे
नैन बिछाए न कोई
दर्द से तेरे, कोई ना तड़पा
आँख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ…
तूने तो सबको, राह बताई
तू अपनी मंज़िल क्यों भूला
सुलझा के राजा, औरों की उलझन
क्यों कच्चे धागों में झूला
क्यों नाचे सपेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ…
कहते हैं ज्ञानी, दुनिया है फानी
पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी, है सबकी जानी
हाथ किसी के ना आनी
कुछ तेरा ना मेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ…
गीत: वहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ
संगीतकार: सचिन देव बर्मन
फ़िल्म: गाईड (१९६५)
बोल: शैलेन्द्र
संगीत: मिलिंद दाते