निकटवर्ती को ही हाथ बढ़ा कर सहारा दिया जा सकता है || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१८ अक्टूबर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
आप के सामने जब रहता हूँ तो मन खाली सा लगता पर यहाँ से हटते ही भारी मालूम पड़ने लगता है क्या करूँ?
सत्संग में कैसे एकाग्र बैठे?
ग्रंथो के साथ तादात्म्य कैसे बनाये?

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