वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, विश्रांति शिविर
५ अक्टूबर, २०१९
मुंबई, महाराष्ट्र
प्रसंग:
"The Self is abstract intelligence free from thought. The knower, knowledge and the known are not real as different entities. When differentiation among them is destroyed, their true nature is evident in the resulting non-dual consciousness, which is also the state of emancipation.
Vidya Gita (Shlok 72)
ज्ञानं ज्ञेयं तथा ज्ञाता त्रितयं नास्ति वास्तवं।
अज्ञानाद् भाति यत्रेदं सोऽहमस्मि निरंजनः॥ २-१५॥
ज्ञान, ज्ञेय और ज्ञाता यह तीनों वास्तव में नहीं हैं,
यह जो अज्ञानवश दिखाई देता है वह निष्कलंक मैं ही हूँ
अष्टावक्र गीता (अध्याय 2 श्लोक १५)
ज्ञान-ज्ञाता-ज्ञेय एक कैसे है?
इसमें लिप्त होने से दुःख कैसे मिलता है?
इस चक्र से बाहर कैसा आया जाए?
संगीत: मिलिंद दाते