तुम्हें ज़रुरत किसकी है? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)

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वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, पार से उपहार शिविर
१४ सितंबर, २०१९
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः ।
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्यम्‌ ॥
भावार्थ : परंतु हे कुन्तीपुत्र! दैवी प्रकृति के आश्रित महात्माजन मुझको सब भूतों का सनातन कारण और नाशरहित अक्षरस्वरूप जानकर अनन्य मन से युक्त होकर निरंतर भजते हैं॥

हमारी मूल आवश्यकता क्या है?
हम प्रकृति पर आश्रित क्यों हैं?


संगीत: मिलिंद दाते

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