Paleolithic Age ! पूरा पाषण काल ! Stone Age ! Lower Paleolithic ! Middle Paleolithic ! Upper Paleolithic Age

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Paleolithic Age ! पूरा पाषण काल ! Stone Age ! Lower Paleolithic ! Middle Paleolithic ! Upper Paleolithic Age ! For all competitive exam of History.

इस विडियो मे आप पूरा पाषण काल के बारे मे जानेंगे ,निम्न पूरा पाषण काल, मध्य पूरा पाषण काल और उच्च पूरा पाषण काल का अध्धयन आप इस विडियो मे करेंगे ।
पुरा पाषाण काल (Palaeolithic Age):-
 यह दो शब्दो से बना है पुरा यानि ‘ प्राचिन ’ और पाषाण ‘ पत्थर ’ /
 इस काल में मानव प्रकृति पर निर्भर था भोजन संग्रह और पशुओ का शिकार करके जीवन ‌- यापन करता था। इनका भोजन मांस और कंदमूल हुआ करता था ।
मानव के निवास के प्रमाण ‘ शैलाश्रयो ’ के रुप में मिले है इस काल के मानव के पास कोई निश्चित निवास स्थान भी नही था और उनका जीवन खानाबदोश अथवा घुमक्कड था / मनुष्य तथा जंगली जीवो के रहन – सहन में कोइ विशेष अंतर नही था /
इस काल में मानव कृषि कार्य अथवा पशु पालन से परिचित नही था और न ही बर्तनो का निर्माण करना जानता था/
हड्डीयो के अवशेषो एवं गुफाओ की कलाकृतिओ से इस काल में उपलब्ध पशुओ के बारे मे जानकारी मिलती है कि अदिमानव, बन्दर, जिराफ, हिरण, बकरी, भैस, गाय, बैल, नीलगाय, सुअर, बारहसिंघ, गैंडा, हाथी से परिचित था / जलीय जीवो में कछुओ एवं मछलियो, वनस्पतिओ में वह विभिन्न प्रकार के फलो, फूलो कंदमूल के अतिरिक्त मधु (शहद) के छ्त्तो से शहद निकालने में निपुण था /
भारत में पुरापाषाण कालीन मनुष्य के शारीरिक अवशेष कही से भी नही प्राप्त हुए है/
इस काल में मानव को अग्नि का ज्ञान था परन्तु अग्नि के प्रयोग से अनभिग्य था / अग्नि का प्रयोग न कर पाने की वजह से ये मांस को कच्चा ही खाते थे /
इस युग को 3 भागो में विभाजित किया गया है /
निम्न पुरा पाषाण काल:-
इस काल में मानव मूलत: क्वार्टजाइट पत्थर का उपयोग करते थे / इस काल के उपकरणो को 2 भागो में विभक्त किया जाता है
1. चापर – चापिंग पेबुल संस्कृति:-
इसके उपकरण सर्वप्रथम पंजाब की सोहन नदी घाटी (पाकिस्तान) से प्राप्त हुए इसी कारण इसे सोहन – संस्कृति भी कहा गया है सोहन नदी सिंधु नदी की एक छोटी सहायक नदी है / पत्थर के वे टुकडे , जिनके किनारे पानी के बहाव में रगड खाकर चिकने और सपाट हो जाते है पेबुल कहे जाते है / इनका आकार – प्रकार गोल – मटोल होता है /
‘ चापर ’ बडे आकार वाला वह उपकरण है जो पेबुल से बनाया गया है / इसके ऊपर एक ही ओर फलक निकाल कर धार बनाई गयी है /
चापिंग उपकरण व्दिधारा होते है अर्थात पेबुल के ऊपर दोनो किनारो को छीलकर उनमें धार बनाई गई है /
विदारणी एक तरफ दो धार बनाई गयी है /
2. हैण्ड ऐक्स संस्कृति:-
इस संस्कृति के उपकरण सर्वप्रथम तमिलनाडु राज्य मद्रास / चेन्नई के समीपवर्ती क्षेत्र से प्राप्त हुये | इसी कारण इसे ‘ मद्रासी संस्कृति ’ भी कहा जाता है | सर्वप्रथम 1863 ई0 में राबर्ट ब्रुशफ़ुट ने मद्रास के पास पल्लवरम नामक स्थान से पहला हैन्ड ऐक्स प्राप्त किया था |
मध्य पूरा पाषाणकाल :-
भारत के विभिन्न भागो से जो फलक प्रधान पूर्व पाषाणकाल के उपकरण मिलते है उन्हे इस काल के मध्य में रखा जाता है इनका निर्माण फलक या फलक तथा ब्लेड पर किया गया है | इनमे विभिन्न आकार – प्रकार के स्क्रेपर , ब्युरिन , बेधक आदि है |फलको की अधिवक्ता के कारण मध्य पूर्व पाषाण को ‘ फलक संस्कृति ’ की संज्ञा दी जाती है | इन उपकरणो का निर्माण अच्छे प्रकार के क्वार्टजाइट पत्थर से किया गया है इसमे चर्ट , जैस्पर , फ्लिन्ट जैसे मूल्यवान पत्थरो को लगाया गया है |
उच्च पुरा पाषाणकाल :-
इस काल में प्रधान पाषाण उपकरण ब्लेड है |

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