The violence in JNU is not stopping. There were protests across the country over the JNU violence. The ABVP and the left parties came face to face and blamed each other for JNU violence. Even today the opposition to JNU violence continues. The big question is, How did JNU become a stronghold of the Left?
जेएनयू हिंसा को लेकर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। देशभर में जेएनयू हिंसा को लेकर विरोध हुए। एबीवीपी और लेफ्ट पार्टियां आमने-सामने आ गईं। जेएनयू की हिंसा के लिए एक-दूसरे को कसूरवार ठहराया। आज भी जेएनयू हिंसा का विरोध जारी है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर जेएनयू वामपंथ का गढ़ कैसे बन गया?
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