सिद्धिविनायक मंदिर में दिल्ली के भक्त ने 35 किलो सोना चढ़ाया है

DainikBhaskar 2020-01-21

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मुंबई. यहां मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में दिल्ली के एक भक्त ने 35 किलो सोना चढ़ाया है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आदेश बांदेकर ने इसकी पुष्टि की है। इस सोने का इस्तेमाल मंदिर के दरवाजे और छत में परत चढ़ाने में किया गया। मौजूदा कीमत के हिसाब से इस सोने की कीमत करीब 14 करोड़ रुपए है। मंदिर प्रशासन ने सोना दान करने वाले की पहचान गुप्त रखी है। अध्यक्ष आदेश बांदेकर ने बताया कि सोने की परत चढ़ाने का काम 15 से 19 जनवरी के बीच हो चुका है। इस दौरान मंदिर को वार्षिक कार्यक्रम के लिए बंद रखा गया था। 





पिछले साल मंदिर को मिला 410 करोड़ का दान

2017 में मंदिर को 320 करोड़ रुपए का दान मिला। वहीं, 2019 में 410 करोड़ रुपए का दान मंदिर को मिला। मंदिर प्रशासन दान में मिली रकम का उपयोग सामाजिक कार्यों में करती है।



219 साल पहले बना था सिद्धिविनायक मंदिर



  1. सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर, 1801 में हुआ था। इसका मुख्य हिस्सा सिर्फ 3.6 वर्ग मीटर में स्थित है। इसकी दीवारें 450 मीमी चौड़ी हैं। मंदिर का निर्माण एक ठेकेदार लक्ष्मण विठू पाटिल ने किया था। लक्ष्मण विठू को मंदिर के निर्माण के लिए धन एक अमीर मराठी दानवीर महिला देऊबाई पाटिल ने दिया था।






  2. देऊबाई माटुंगा नि:संतान थी। एक दिन गणपति  की पूजा करते समय उनके मन में आया कि क्यों न ऐसे मंदिर का निर्माण करवाया जाए जहां भगवान से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लिया जा सके। इसी विचार के बाद उन्होंने इस मंदिर के लिए धन दिया। 






  3. यह मंदिर 'नवसाचा गणपति' के नाम से भी प्रसिद्ध है। मराठी भाषा में इसे 'नवसाला पवानारा गणपति' भी कहते हैं। सिद्धिविनायक की पाषाण प्रतिमा एक खास तरह की आकृति में बनी हुई है, जो शायद ही कहीं और मौजूद हो। इसकी ऊंचाई 2 फीट 6 इंच और चौड़ाई 2 फीट है।






  4. मंदिर के गर्भगृह में मौजूद मूर्ति जरा सी दाहिनी तरफ झुकी हुई है भगवान गणपति की चारों भुजाओं में अलग-अलग वस्तुएं हैं। एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे में कुल्हाड़ी, तीसरे में जपमाला और चौथे में मोदक-लड्डू से भरा एक कटोरा। बाएं कंधे पर एक सांप भी है, जो आमतौर पर श्रीगणेश प्रतिमा पर नहीं होता है।






  5. सिद्धिविनायक मंदिर के पुजारी श्री रामदास के बनवाए मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति विराजमान है। इसका निर्माण साल 1952 में हुआ था। जो भक्त सिद्धिविनायक के दर्शन करने आते हैं, वे हनुमान मंदिर में भी जरूर जाते हैं।






  6. श्री सिद्धिविनायक का  नया मंदिर संगमरमर की एक बहुकोणीय संरचना है जिस पर सोना चढ़ा कलश स्थापित है। मुख्य केन्द्रीय कलश को गणेश प्रतिमा के ठीक ऊपर मंदिर के शिखर पर स्थापित किया गया है। सोना चढ़े इस कलश का वजन 1500 किलोग्राम है 






  7. मंदिर में अन्य चढ़ावों के रूप में सोने की छड़ों और आभूषणों सहित भारी मात्रा में सोना अर्पित किया जाता है। सरकार की स्वर्ण मौद्रिकरण योजना (जीएमएस) में भाग लेने वाला पहला मंदिर बना था। मंदिर का अपना डीमैट अकाउंट भी  है, ताकि श्रद्धालु शेयर, म्यूचल फंड्स, बांड्स आदि भी दान दे सकें।





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