कानपुर देहात- इंसानियत का इससे बड़ा नजीर नहीं हो सकता, जहां एक शख्स लावारिस लाशों का मसीहा बना हुआ हैं। उसे धर्म और जाति से कोई मतलब नहीं और न ही किसी चीज का लालच है। ख़ास बात यह कि लावारिस लाशों का उनके धर्म और जाति के रीति रिवाजों के अनुसार अन्तिम संस्कार भी करता हैं। वह 10 वर्षो से इन लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार समाज के लोगो के साथ मिलकर कर रहा हैं। बताया कि करीब 7 हजार से अधिक लावारिस लाशों का अन्तिम संस्कार उनके धर्मो के अनुसार कर वह समाज में जागरूकता ला रहा हैं। साथ ही सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन कर उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना कर रहा हैं। जिसमें कई सामाजिक संगठनों का सहयोग भी मिल रहा है। इंसानियत की मिशाल कर रहे कायम न कोई लावारिश आया है और न कोई लावारिश जायेगा। इन वक्तव्यों को एक शख्स और एक समिति जनपद कानपुर देहात में अमली जामा पहनाने में लगा हुआ हैं। साथ ही उनकी आत्मा की शान्ति के लिए सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन कर रहा हैं। हम बात कर रहे हैं धनीराम पैंथर की, जो अपनी समिति जनकल्याण सेवा समिति और भारतीय दलित पैंथर के सहयोग से लावारिस लाशों का उनके धर्मं के अनुसार बिना किसी सरकारी सहयोग के अंतिम संस्कार विधिवत रीति रिवाजों के अनुसार कर रहें हैं। साथ ही उनकी आत्मा की शान्ति के लिए विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन करते हैं। इसमें लावारिस शवों के लिए प्रार्थना की जाती है। इसी के चलते कानपुर देहात के माती मुख्यालय स्थित जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में सभी धर्मो के अनुयायियों के साथ मिलकर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया