सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि, 'अगर एक देश को विकसित होना है तो वहां असहमति का रोल बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। असहमति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में ऐसी कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं देखने को मिली हैं, जब असहमति को राष्ट्र-विरोधी करार दिया गया है और कानूनी मामले दर्ज किए गए हैं।'
जस्टिस गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से डेमोक्रेसी एंड डिसेंट विषय पर आयोजित एक सेमिनार में ये बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि अगर असहमति को दबाया जाएगा तो इसका लोकतंत्र पर बुरा असर पड़ेगा। सरकार को किसी विरोध को तब तक दबाने का अधिकार नहीं है, जब तक वह हिंसक नहीं हो जाता।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के ही एक और जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी असहमति को लेकर इसी तरह की बातें कह चुके हैं। देखिये हमारे सहयोगी सिद्धार्थ पांडेय की रिपोर्ट...
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