कोरोना के चलते स्कूल बंद कर दिए गए है, सिनेमाहाल बंद कर दिए गए है, विदेश यात्राओं को रोक दिया गया है, सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचा जा रहा है, आईपीएल की तारीख आगे बढ़ा दी गयी है, दुनिया भर के बाजार धड़ाम हो रहे है लेकिन कोरोना है कि रुकने का नाम नही ले रहा है। कल सुबह भारत के शेयर बाजार ने खुलने के साथ हि नीचे की तरफ ऐतिहासिक गोता लगाया। गिरावट इतनी तेजी से हुई कि बाजार में ट्रेडिंग रोकना पड़ गयी।
मार्केट 3000 से ज्यादा अंक नीचे आया लेकिन जब दुबारा मार्केट खुले तो न सिर्फ गिरावट काबू में आई बल्कि बाजार गुलज़ार भी हो गए। दुबारा खुलने के बाद मार्केट हजार अंक से ज्यादा चड़कर बन्द हुआ। कहा जा रहा था कि कोरोना के चलते दुनिया के सभी बाजार गिर रहे है और उसी का असर भारत के बाजारों पर भी पड़ा है। लेकिन जो बात समझ से परे थी वो ये की कोरोना को लेकर दुनिया ने ऐसा कौन सा कदम उठा लिया जिससे एक घन्टे में ही बाजार की मंदी गायब हो गयी और मार्केट ऊपर चढ़ने लगा?
शेयर बाज़ार को सट्टा बतलाने वालों की बात पर कल के इस घटनाक्रम को देखकर विश्वास करने का मन करने लगा है। 3000 अंक नीचे से 1000 अंक ऊपर आना सिर्फ कोरोना के चलते सम्भव नही हो सकता। इसके पीछे जरूर सट्टेबाज़ों का हाथ है। अगर भारत का बाजार विदेशी बाजारों के अनुसरण करता है तो वहां भी ऐसा क्या हो गया जिससे अचानक कोरोना के बाद भी बाजार ऊपर आ गए? सोशल मीडिया में ये मज़ाक चल रहा है कि भारत में आधी से ज्यादा चीजें मात्र रिस्टार्ट करने से ही ठीक हो जाती है और शेयर बाजार ने भी वैसा ही किया।
एक बार ट्रेडिंग रोककर दुबारा शुरू करवाई गयी तो निवेशक कोरोना को भूलकर दुबारा खरीदारी में जुट गए। इस तरह की घटनाएं सिर्फ भारत मे ही देखने को मिल सकती है। कहतें है कि विदेश के बाजारों को छींक भी आ जाती है तो भारत के बाज़ार को सर्दी लग जाती है। लेकिन अब समझ आ रहा है कि वो छींक भी नकली है और ये सर्दी भी।
शेयर बाज़ार हवा के उस बुलबुले की तरह होता है जो हवा के एक झोंके मात्र से अपनी दिशा पलट देता है। इस मार्केट में कमाने वाले 50 होतें है जबकि गंवाने वाले 500। भारत के बाजार के बारे में कहा जा रहा है कि इसकी बुनियाद बहुत मजबूत है। लेकिन ये भला कैसी मजबूती है जो जड़ें ही हिलाएं दे रही है?