Delhi में Nirbhaya Case के चारों दोषियों की फांसी की तारीख कभी भी मुकर्रर हो सकती है। पिछले कुछ दिनों से चल रहे घटनाक्रम इसी ओर इशारा कर रहे हैं। तिहाड़ जेल प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन से जल्लादों की जानकारी मांगी है। जेल प्रशासन ने लखनऊ और मेरठ के दो जल्लादों के नाम दिए हैं। इसमें मेरठ के पवन जल्लाद का नाम फाइनल कर दिया गया है। डीजी जेल ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को लिखा- जब भी चाहेंगे 5 घंटे के अंदर जल्लाद तिहाड़ पहुंच जाएगा। इस संबंध में मेरठ जेल प्रशासन को सूचित भी कर दिया गया है। उत्तरप्रदेश के डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की मांग की है। हालांकि किसे और कब फांसी दी जानी है, इसके बारे में नहीं बताया गया है। उत्तर प्रदेश में फिलहाल मेरठ और लखनऊ में दो जल्लाद हैं, जिनके बारे में सूचना भेज दे दी गई है। बता दे..पवन जल्लाद के दादा कल्लू जल्लाद फांसी देने का काम करते थे। उनके बाद बेटे मम्मू जल्लाद ने यह काम संभाला। अब दादा और पिता के काम को पवन जल्लाद आगे बढ़ा रहा है। पवन बताते हैं कि उसने अपने दादा के साथ मिलकर अब तक पांच लोगों को फांसी दी है, उस वक्त दादा जैसा कहते थे वह करता था। अब उसे पहली बार अकेले ही फांसी लगाने का मौका मिलेगा तो वह अपने काम को बखूबी अंजाम देगा। बता दे..पवन का इस मामले में कहना है कि अभी दिल्ली प्रशासन या मेरठ प्रशासन से इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है। उसे बस इतना पता चला है कि जो दूसरा जल्लाद है वह बीमार है, वह शायद फांसी देने के लिए नहीं आ सकता। ऐसे में उसे चारों आरोपियों को फांसी देने के लिए बुलाया जा सकता है। पवन ने बताया कि फांसी देने से पहले फांसीघर पहुंच कर ट्रायल करना होता है। इसमें लीवर आदि सब चेक किए जाते हैं, जिसे फांसी देनी होती है। उसके वजन के बराबर बोरे में रेत आदि भरकर फांसी के फंदे पर लटका कर जांच की जाती है। जिस रस्सी से फंदा बनाया जाता है, उसके लिए भी सब कुछ जांचा-परखा जाता है। जल्लाद पवन का कहना है कि जब फांसी दी जाती है तो दोषी के हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं, उसके मुंह पर काला कपड़ा डाल दिया जाता है। इसके बाद जेलर के इशारे पर फांसी देने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। पवन को सरकार की ओर से पांच हजार रुपये महीना मिलता है। इसमें उसके परिवार का खर्च नहीं चलता। दिन में वह कहीं मेहनत-मजदूरी करता है या फिर कपड़ों की फेरी लगाकर उन्हें बेचता है। बता दे..निर्भया केस के दोषियों में पवन को हाल ही में मंडोली जेल से तिहाड़ शिफ्ट किया गया है। पवन के अलावा तीनों दोषी मुकेश, अक्षय, विनय पहले से तिहाड़ में बंद हैं। ऐसे में चर्चा है कि क्या चारों को एक साथ फांसी दी जाएगी ? यदि हां, तो यह आजाद भारत में दूसरा मौका होगा, जब एक साथ चार लोगों को फांसी पर लटकाया जाएगा। बता दे..27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर केस में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को पुणे के यरवदा जेल में एक साथ फांसी दी गई थी। वहीं, जल्लाद पवन के जीवन का पहला मौका होगा, जब वह एक साथ चार अपराधियों को फांसी पर लटकाएगा। बता दे..दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को नर्सिंग की छात्रा से चलती बस में हैवानियत की गई थी। मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिन्हें कोर्ट ने दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी। अभियुक्तों में एक नाबालिग था, जिसे कोर्ट ने बरी कर दिया। इस बीच एक अभियुक्त ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद चार दोषी रह गए, जिन्हें फांसी पर लटकाए जाने की तैयारी चल रही है।