अमरीका की दादागीरी दुनिया के लिए नई नहीं है। लेकिन ईरान के जनरल सुलेमानी को मारने के मामले में लगता है कि अमरीका फंस गया है और अपनी इस गलती को छिपाने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख लगातार आक्रामक होता जा रहा है। अमरीका की आक्रामकता किस स्तर तक पहुंच गई है इसका अंदाजा इससे लग सकता है कि उसने अब ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ को अमरीका का वीजा देने से इंकार कर दिया है। जरीफ संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को संबोधित करने अमरीका जा रहे थे और उन्होंने इस वीजा के लिए कुछ सप्ताह पहले आवेदन किया था।राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले अमरीका के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को इसका कितना फायदा मिलेगा वो तो नवंबर माह तक ही पता चलेगा लेकिन अंतराष्ट्रीय फलक पर इसका नुकसान दिखना शुरू हो गया है। कभी एक दूसरे के जानी दुश्मन रहे ईरान और इराक आज अमरीका से लड़ने के लिए एक हो रहे हैं और रूस ने भी अमरीका की इस एक तरफा कार्रवाई की आलोचना की है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश ईरान की सेना के एक शीर्ष कमांडर को विदेशी धरती पर मार दिया गया था। साथ ही रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोईगू ने भी कहा है कि वे तुर्की के साथ इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि कैसे ताजा हालात से निपटा जा सकता है। इतना ही नहीं , खबर है कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल भी इस मामले पर चर्चा करने के लिए शनिवार को मास्को में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिल रही हैं और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले पुतिन फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैंक्रो से भी इस मामले पर फोन पर बात कर चुके हैं। साफ है कि - धीरे - धीरे ही सही, पर अमरीका के खिलाफ अब दुनिया की ताकतें एक हो रही हैं। अगर ऐसा हो रहा है तो इसकी खास वजह भी है।